UNESCO ने दी भारत की सांस्कृतिक विरासत को मान्यता, गीता और नाट्यशास्त्र शामिल

भगवद गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया गया। इसे लेकर पीएम मोदी ने खुशी जताई। उन्होंने कहा, ये दुनिया भर में हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है।
यूनेस्को द्वारा गुरुवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, यूनेस्को (UNESCO) के विश्व स्मृति रजिस्टर में कुल 74 नई एंट्री की गईं, जिससे कुल अभिलेखित संग्रहों की संख्या 570 हो गई। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि दोनों धर्मग्रंथों को शामिल करना सदाबहार ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है।
क्या बोले पीएम मोदी?
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा-
दुनिया भर में हर भारतीय के लिए यह गर्व का क्षण है! यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में गीता और नाट्यशास्त्र को शामिल करना हमारे ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है। गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना का पोषण किया है। उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करती रहती है।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। शेखावत के अनुसार, गीता और नाट्यशास्त्र को शामिल करने के साथ ही अब यूनेस्को के रजिस्टर में कुल 14 अभिलेख हो गए हैं।
श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को अब यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में अंकित किया गया है। यह वैश्विक सम्मान भारत के शाश्वत ज्ञान और कलात्मक प्रतिभा का जश्न मनाता है।
'14 संग्रह वैज्ञानिक दस्तावेज विरासत से संबंधित'
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा- ये कालातीत रचनाएं साहित्यिक खजाने से कहीं अधिक हैं – वे दार्शनिक और सौंदर्यवादी आधार हैं, जिन्होंने भारत के विश्व दृष्टिकोण और हमारे सोचने, महसूस करने, जीने और अभिव्यक्त करने के तरीके को आकार दिया है।
यूनेस्को के अनुसार, नव-अंकित संग्रहों में से 14 संग्रह वैज्ञानिक दस्तावेजी विरासत से संबंधित हैं, इसके अतिरिक्त दासता की स्मृति से संबंधित संग्रह और प्रमुख ऐतिहासिक महिलाओं से संबंधित अभिलेख भी हैं।